आज बात करेंगे पानी पैमाना और प्यूरीफायर की। कहते है जल ही जीवन है लेकिन क्या ये बात हमारे आपके घरों में लगे आरओ के पानी पर भी लागू होती है। आरओ यानि रिवर्स ऑस्मोसिस...सीधे शब्दों में कहा जाय तो पानी को साफ करने की प्रक्रिया। आजकल ज्यादातर लोग आरओ के पानी पर निर्भर दिखाई देते है। अगर घर में आरओ नहीं भी लगा हो तो बाहर से पानी की बंद बोतल मंगा ली जाती है। बड़े शहरों में ये बात बहुत आम हो गयी है। कई बार देखा गया है कि आरओ लगवाना स्टेटस सिंबल भी माना जाने लगा है। वही एनजीटी ने दिल्ली के उन स्थानों पर आरओ पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा था जहां पानी में कुल विलय ठोस पदाथ यानि (टीडीएस) 500 एमजी प्रति लीटर से कम है... जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सही मानते हुए आरओ कंपनियों को सरकार के आगे अपनी बात रखने के लिये 10 दिन का समय दिया है। एनजीटी का कहना है कि लोगों को बिना खनिज पदार्थ वाले पानी के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाय...और सरकार ये भी सुनिश्चित करें कि देशभर में जहां भी आरओ की अनुमति दी गई है वहां 60 प्रतिशत से गंदा पानी दोबारा इतेमाल किया जाना जरूरी हो। तो बड़ा सवाल ये है कि आरओ से मिलने वाले पानी का पैमाना क्या है। कौन से ऐसे पैरामीटर है जिन पर आरओ के पानी की गुणवत्ता को आप आंक सकते है। पानी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्या गाइडलाइंस है...और आरओ से मिलने वाले पानी के बदले में हम कितना पानी जाया कर रहे है....आज ऐसे ही कई सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे.
Guests: Varun Gupta, Director, Kent RO Pvt. Ltd., Avinash Mishra, Advisor, Water Resources, Niti Aayog, Balendu Shekhar, Advocate, NGT,
Anchor: Ghanshyam Upadhyay
Producer: Sagheer Ahmad
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