उन कद्रदानों के प्रति हृदय से आदर करने को जी चाहता है जो कि अतीत को अविस्मरणीय बनाए रखने का माद्दा रखते हैं।
बात चाहें अतीत के हरे-भरे, पुष्पित-पल्लवित और सुकूनदायी वृक्षों की हो या फिर उन बुजुर्गों की, जिनकी छत्र-छाया में पीढ़ियां दर पीढ़ियां पल्लवित होती रही हैं। उन्हें पूरे आदर-सम्मान और श्रद्धा के साथ रखते हुए उनके अनुभवों का लाभ लेना और उनसे सीखना हम सभी का कर्तव्य है।
इनके बताए मार्ग और अनुभवों के सेतुओं से होकर ही हम सभी का जीवन यादगार स्वरूप प्राप्त कर सकता है। आईये हम भी संकल्प लें हमारे अपने बुजुर्गों को सम्बल देने का।
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