देश की राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के करीब 8 राज्यों में वायु प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेना मुश्किल हो रहा है..इन राज्यों में साफ हवा मिलना एक सपने जैसा होता जा रहा है..पूरे उत्तर भारत में साल के करीब 6 महीने तक AQI निर्धारित मानकों से दो से 5 गुने तक होता है..औऱ सर्दियों के मौसम में जैसे ही वातावरण में नमी का मात्रा बढ़ती है हवा की रफ्तार कम होती है इन राज्यों में AQI का पैमाना नई उचाइयों पर पहुचं जाता है.. ऐसे नही है कि ये सिर्फ आज की समस्या है ..पिछले कुछ वर्षों से ये समस्या तेज़ी के साथ न सिर्फ बढ़ रही है बल्कि इसका दायरा अब दिल्ली से एसीआर से बढ़कर उत्तर भारत के करीब 8 राज्यों तक फैल चुका है.. एनजीटी से लेकर सुप्रीम कोर्ट साल भर में न जाने कितनी बार सरकारों औऱ एजेंसियों को फटकार लगाती है औऱ कड़े कदम उठाने के लिये चेतावनी जारी करती है औऱ संसद में भी तकरीबन हर साल वायु प्रदूषण पर चर्चा होती है और इससे निपटने के उपायों पर सुझाव आते है लेकिन फिर ऐसा क्या है उत्तर भारत में आम जन प्रदूषित हवा में जीने को मज़बूर है..आखिर क्यों तमाम कदम नाकाफी हो जाते है आखिर वायु प्रदूषण के लिये जवाबदेही किसकी है ?
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